Page 33 - INSIGHT 2021
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तारों की रात जिक्षक
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रासधका गग, बी.एससी. (नविर) जत िास्त्
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श्ुनत जन, बी.एससी. (नविर) कप्ूटर नवज्ान हवितीय वर ्न
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हवितीय वर ्न
जिक्षा की मूर्त ह वो
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ज्ान का भडार ह वो,
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िहर पर जजनक सहनिीलता ह झलकती
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जिक्षक ह ऐस जिक्षक ह वो।
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बार-बार गलती करन पर भी
जो हमिा प्ार स ह समझात, े
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आंखों म ज्ान की रोिनी लकर
वह हमिा हम ह पढ़ात।
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इम्तिहान का डर हो उन्ह हमस भी ज्ादा
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वो हम पर महनत कर अपनी क्षमता स भी ज्ादा,
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पररिाम आन पर जो ह़ौंसल ह बढ़ाए ं
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ऐस ही वो हमारी खुिी म खुि हो जाए।
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इनका दजा खुद भगवान न अपन स पहल ह माना
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इनका ददल होता ह जस ज्ान का ख़ाना,
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वो जिक्षक क साथ-साथ हर ररश ह ननभात े
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ऐसी उनकी फफतरत ह हक हर कोई खुि हो जात।
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हर मुश्किल म हमन उन्ह अपन पास ह पाया
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नबना बोल ही हमारा िहरा उन्होंन पढ़ ददखाया,
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ज्ान की नींव य तयार ऐस ही करत े
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हम एक कानबल और अच्ा इसान बना कर ही रुकत।
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सभी बचों को यह अपना ह समझत े
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अमीर, गरीब, काल, गोर का कभी भदभाव ना करत, े
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मन म जिक्षा का ददया ऐसा ह जलात े
खुला आसमान ह एक नविाल सागर दटमदटमात य तार े इस सागर म एक ह ै बुझान पर भी कोई उस ना बुझा पात।
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जजसम ह तार जीव उसक े मानो कहना िाह हमस कि हमार जसा, वो बादल ह ै
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इन तारों की िांव म े जगह य बदलत ह हमिा कभी गस्ा आ जाए तो गरजता ह ै
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बीत य बिपन हमारा लहकन फफर भी रहत ह हमार सग कभी उदास हो तो रोन लगता ह ै अपनी हर मश्किलों को वो अकल ह सुलझात े
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गलती स भी अपन िहर पर चिंता की लकीर ना आन दत, े
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कइयों क चलए य घर की ित ह ै इनका एक साथी िाँद, बहुत अजीब, बहुत लहकन यही सब ममलकर बनात े क्ा खूब कदरत की यह रिना ह ै
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बस एक कमरा वो भी नबन ित कईयों क चलए नवचिरि इस सागर को नायाब और अनोखा गरु स बढ़कर और कि ना ह।
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य ित उनकी दुननया कभी पूरा, कभी आधा, कभी ददखता ही नहीं जजसम कइयों क सपन िमकत े
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जजसकी ित भरी हुई ह तारों और सपनों स े िाँद क सग रह िाँदनी कइयों को सुख ह दत।
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तब ही तो ह वो उसकी समगनी 26 27