Page 43 - INSIGHT 2021
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फ़ौजी  और पडी ़रूरत तो फफरस वीरगनत को ्राप्त होकर िहीद म  ैं  ज़न्दगी: एक सफर
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 कहलाऊगा।
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 फफरस जन् यहीं लगा स़ौगध यही म खाता ह,
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 भारत मां की रक्षा की खानतर फफर स फ़ौजी बन जाऊगा,
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 अरुि गगवार  फफर दुश्मन की ईंट स ईंट बजान इस धरती पर म आऊगा,  मज़ल दूर सही, हकन्ु अब ददखन लगी ह।
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 बी.एससी. फफ़ीकल साइस (रसायन िास्त्)  वीर था वीर म कहलाऊगा।  कदम िोट सही, हकन् अब बढ़न लग ह।
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 हवितीय वर ्न  दि की रक्षा की खानतर ससकों का कोई मोल नहीं,  म वो मुसाफफर नहीं, जो लक्ष् की दूररयों को दखता ह।
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 जो तोल रक्षा को ससकों स तो वो इस दि का नहीं।  म वो मतवाला ह, जो ज़न्दगी को सफर और सफर म ज़न्दगी दखता ह।
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 पित ह कई मनम़ौजी,  बस करता ह इबादत तझस ऐ मर म़ौला,
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 क्ा ममला तम् करक य िद ससकों की ऩौकरी ए फ़ौजी।  जजस नक काम क चलए तन इस बद को िुना,  सफर क अंत स फफर मोह कसा ?
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 नतरग म चलपटा आऊगा,  ना डगमगाए उसक कदम अपनी जान भी कबान करन को।  सफर क पथ स फफर द्ोह कसा ?
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 िहीद म कहलाऊगा,  सफर पाना नहीं, सफर मीलों तक िलन म ह।
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 वीर था फफरस वीर म कहलाऊगा,  "नवजय अब पास ह" कहना, स्य को िलन म ह ।
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 फफर दुश्मन को िर की भांनत ललकारूगा,
        ज़न्दगी म, म भी यू आग बढगा !
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        नवरम हो राह, हकन् म भाग िलगा।
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        थका हो ्राि हकन्ु फफर भी म िलता रहगा।
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        सफर क अंत तक म स्य को िलता रहगा।
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        सफर क अंत तक म स्य को िलता रहगा।
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        हहमांिु ससंह
        बी.एससी. (नविर) वनस्पनत नवज्ान
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        ततीय वर ्न
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